Kishan Janmashtami ka utsav

Krishna Janmashtami ka utsav
भगवान विष्णु ने मानव जाती का उद्धार करने के लिए व उन्हें संकटों से मुक्त करने के लिए हर युग में जन्म लिया। उन्हीं में से एक अवतार कृष्ण के रूप में द्वापर युग में लिया।कृष्ण जन्माष्टमी, जिसे केवल जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी के रूप में भी जाना जाता है, एक वार्षिक हिंदू त्योहार है जो विष्णुजी के दशावतारों में से आठवें और चौबीस अवतारों में से बाईसवें अवतार श्रीकृष्ण के जन्म का जश्न मनाता है। यह हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार, कृष्ण पक्ष (अंधेरे पखवाड़े) के आठवें दिन (अष्टमी) को भाद्रपद में मनाया जाता है । जो ग्रेगोरियन कैलेंडर के अगस्त या सितंबर के साथ ओवरलैप होता है।

भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण अष्टमी पर हुआ था. भाद्रपद मास की अष्टमी की तिथि को कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं.इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा की जाती है. जन्माष्टमी पर भगवान को झूला झूलाते हैं. इस दिन भगवान श्रीकृष्ण अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं.

इस मौके पर लोग अपने घरों में बाल गोपाल की पूजा करते हैं, उन्हें झूले पर बिठा कर नए वस्त्र पहना कर श्रीकृष्ण की विशेष पूजा की जाती है. घरों में तो पूजा होती ही है लेकिन मंदिरों की धूम तो देखते ही बनती है. देश भर में फैले श्रीकृष्ण के मंदिरों में खास पूजा होती है. उत्तर से दक्षिण तक देश भर में श्रीकृष्ण के ऐसे बड़े-बड़े और प्रसिद्ध मंदिर हैं जहां जन्माष्टमी पर जाकर आप दर्शन करना अपने आप एक अद्भुत अनुभूति होती है.

द्वारकाधीश मंदिर द्वारका, गुजरात
द्वारकाधीश मंदिर को चार धामों में पश्चिमी धाम कहा जाता है. गुजरात में स्थित इस मंदिर को जगत मंदिर भी कहते हैं. बात जन्माष्टमी की हो तो यहां इस दिन श्रीकृष्ण के भव्य स्वरूप का यहां दर्शन कर सकते हैं. वैसे तो द्वारका नगर के लोग हमेशा ही कृष्ण भक्ति में डूबे दिखाई देते हैं, लेकिन जन्माष्टमी के दिन इन लोगों का उत्साह देखते ही बनता है. जन्माष्टमी पर यहां होने वाले भव्य पूजन समारोह को देखने लोग दूर-दूर से द्वारका आते हैं. 

बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन 
 श्रीकृष्ण के बचपन का वृंदावन में बीता था, ऐसे में जन्माष्टमी के दिन इस मंदिर में दर्शन करना बड़ा ही महत्व रखता है. उत्तर प्रदेश के वृंदावन में स्थित ये मंदिर श्रीकृष्ण के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है. प्रभु श्रीकृष्ण को बांके बिहारी भी कहा जाता है इसलिए उनके नाम पर ही इस मंदिर का नाम श्री बांके बिहारी मंदिर रखा गया है. जन्माष्टमी के दिन यहां मंगला आरती हुआ करती है, फिर इसके बाद श्रद्धालुओं के लिए रात 2 बजे ही मंदिर के दरवाजे खुल जाते हैं. ये जानना भी अहम है कि इस मंदिर में मंगला आरती साल में केवल एक बार ही होती है. बालकृष्ण के जन्म के बाद यहां पर श्रद्धालुओं के बीच खिलौने और वस्त्र बांटे जाते हैं. |





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